शनिवार, 18 जून 2011

कौन कितना दागदार ???

आज हम बड़े ही हक से भ्रष्टाचार की लडाई मैं पूर्ण रूप से योगदान दे रहे है!! पर कभी सोचा है की इस भ्रष्टाचार की सूरुवात कहाँ से होती है? इसका सीधा उत्तर है हमसे! बचपन मैं जब हम हम घर के काम किया करते है तो हम जब भी बाहर से से कोई सामान खरीदते है तो उसमे कुछ पैसे भी बचते है जिस पैसे की हम बिना बताये ही अपनी निजी कामो के लिए उपयोग कर लेते है ! पर यही आदत हमेशा हमसे जुडी रह जाती है और फिर आगे चलकर हमारे लिए मुसीबत बन जाती है !!आज पूरा भारत इस भ्रष्टाचार की लडाई लड़ रही है पर इस लडाई के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हम है? क्यूंकि आज हम अपनी सुख सुभिदाओं मैं इतना खो जाते है की हमे कुछ पता चल ही नहीं पता है? आज हम इतने गैर जिम्मेदार हो गए है की अगर हम आज रेलवे मैं आरक्षण करवाते है और जगह आरक्षित होने पर हम टी.टी को घूस के रूप मैं ज्यादा रुपये देकर वो सीट अरक्षित करवा लेते है ...उस समय हम भ्रष्टाचार को भूल जाते है और हमारे इस गलती के कारन जाने किस गरीब इन्सान को कष्टों मैं सफ़र करना पड़ता है!!! ठीक इसी प्रकार आज हम किसी अच्छे संसथान मैं दाखिले के लिए ज्यादा से ज्यादा रुपये खिला कर हम उस संतान मैं सीट अरक्षित करवाते है जिससे एक गरीब तबके के लोगो को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता है...पर फिर भी हम डंके की चोट पर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने सीना तान कर चलते जाते है...जब भी हम किसी गलत काम मैं पुलिस के हाथे चढ़ जाते है या फिर याता यात नियमो का पालन नहीं करते हुए अपनी गाड़ियों के साथ पकडे जाते है तो उस समय हम कानून को भूल कर पुलिसवाले से मिलकर और कुछ पैसे खिलाकर बच जाते है....आर भ्रष्टाचार की आवाज हम डंके की चोटपर उठाते है? जब जब चुनाव होते है बिना वोते दिए हुए हम दिन भर सोते है और फिर सरकार को कोश्ते है !!!आज इस बात को ठुकराना गलत नहीं होगा की कहीं कहीं आम इन्सान भी भ्रष्टाचार बढाने मैं पूर्ण रूप से दोषी है और भ्रष्टाचार की लडाई तब ही सुधर सकती है जब हम खुद को सुधार ले !!!!!!