रविवार, 29 जनवरी 2012

स्वास्थ-मंत्री का तालिबानी बयान....


शायद किसी ने गलत नहीं कहा है की सत्ता का ताकत के आगे अच्छे अच्छे बौने साबित हुए है ! जी हाँ ऐसा ही कुछ बिहार के मुख्यमंत्री के एक मंत्री ने एक नया कारनामा कर दिखाया ...जिस मंत्रियो और अधिकारीयों के कारण सूबे के मुख्यमंत्री को कभी गर्व हुआ करता था आज उन्ही मे से एक मंत्री के कारण न सिर्फ नितीश कुमार को विरोध झेलना पड़ रहा है वहीँ कहीं न कहीं विपक्षी दलों को एक नया मौका मिल गया है ! जी हाँ सूबे के स्वास्थ मंत्री अश्विनी चौबे ने शनिवार को प्रदेश मे सभा को संबोधित करते करते उन्होंने कहा की अगर राज्य के जूनियर डाक्टर अपनी मांगो को लेकर हड़ताल पर जाते है तो उससे निपटने के लिए हमारी सरकार चुप नहीं बैठेगी ओर यहाँ तक कह डाला की धमकी देने वालो के हाथ भी काट दिया जाता है..बहरहाल उनके इस बयान पर जूनियर डाक्टरों में काफी रोष है ओर डाक्टरों का कहना है की स्वास्थ मंत्री को अपने दिए बयान के लिए माफ़ी मांगना चाहिए वरना इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा!!
पर इन सब के बीच सवाल ये उठता है की क्या मंत्री के द्वारा दिया गया ये बयान सही है? और क्या फिर मंत्री जी को जनता की सेवा करने के लिए डाक्टरों का हाथ काटना जरूरी है ? क्या देश में लोकतंत्र नहीं है की अपनी बात रख सके या फिर विरोध कर सके ? जिस हिसाब से मंत्री ने तालिबानी अंदाज़ में अपना ये फैसला सुनाया है वो कहीं न कहीं सरकार की छवि को भी धूमिल कर रहा है! आज यही वो नेता है जब शरद पवार को थप्पड़ मारा गया था तो आपस मे एकता की बात कर रहे थे और इसे हिंसा करार दिया था ! जब देश भ्रष्ट्राचार के खिलाफ सड़क पर उतरा था तो यही नेता कहीं न कहीं लोकतंत्र की दुहाई दे रहे थे! पर आज ऐसा क्या हुआ की बिहार में जब जूनियर डाक्टरों ने अपने वेतन में सुधार और अपनी मांगो को लेकर अनशन पर जाने की बात कही तो मंत्री ने मानो समझाने की जगह या फिर अहिंसा की जगह वो मार काट करने पर उतर गए? क्या यही उनकी गरिमा है या फिर यही उनकी शिक्षा है? कल तक इन्हें आम जनता अपने प्रतिनिधि के रूप में देखते है पर अब यही नेता खुले आम इंसानियत का क़त्ले-आम करने पर आमदा है तो फिर इनसे भी क्या अपेक्षा की जा सकती है? बहरहाल इन सब के बाद भी मानो मंत्री जी को किसी तरह का कोई अफसोश नहीं है और एक न्यूज़ चैनेल पर बातचीत के दौरान जब सफाई दे रहे थे तब भी उनके तेवर कम नहीं हुए और कहा की मेरे बयान को गलत समझा गया है मैंने मुहावरा दिया था! और फिर इसी के साथ वही तेवरों मे कहा की धमकी कतई बर्दाश्त नहीं होगी ..अब बात यहाँ पर यह उठती है की कल तक सुशाशन पर गर्व करने वाले नितीश कुमार अश्विनी चौबे के ऊपर कोई कठोर करवाई करते है या नहीं ? शायद आम जनता के लिए लोकतंत्र का मतलब मात्र पन्नो में सिमटता दिख रहा है ! क्यूंकि ये नेता आग उगलने से बाज नहीं आएंगे क्यूंकि ये जो चाहे वो कर सकते है पर आम जनता पर हमेसा करवाई क्यों की जाती है क्यों नही ऐसे नेताओ पर कारवाई की जाती है जो देश में तालिबानी पैंतरे अपना रहे है !


फोटो -खबर. एनडीटीबी .कॉम