मंगलवार, 3 जनवरी 2012

राजनीती में सफाई कार्यक्रम....


उत्तर प्रदेश की राजनीति जगत में उठी सफाई मानो अब थमती नज़र रही हो और लगातार सूबे के कई मंत्रियो माननीयो और सांसदों पर सूबे की मुखिया जिस हिसाब से ठोस करवाई कर रही है उससे आम जनता के अन्दर एक ही सवाल उठ रहा है की आखिर चुनावो के ठीक कुछ दिनों पहले ये सफाई क्यों शुरू हुई ?जहाँ लगातार सूबे के मंत्रियो पर भ्रष्ट्राचार के संगीन आरोप लगे तो करीब डेढ़ दर्जन से ज्यादा मंत्रियो को इन आरोपों में पाए जानने के बाद इश्तिफा देना पड़ गया है और ये सिलसिला अभी भी जारी है ...पर इन सब के बीच में अगर गौर से देखा जाये तो कई ऐसे चेहरे है जो एक वक़्त में सूबे की मुखिया के सबसे खास और विश्वश्नियो में से एक थे ! उनके कारण समाज का एक तबका का वोट पूरी तरह उनपर काबिज़ था .. इसी कारण से प्रदेश के कई महत्वपूर्ण विभाग की कमान उनके हाथ में थी! ठीक इसी प्रकार और भी कई ऐसे अनगिनत चेहरे है जिन पर भ्रष्ट्राचार के आरोप लगने के बाद सूबे की मुखिया ने इस्तीफा ले लिया है..इस दौरान सूबे के राज्य मंत्री ने तो मानो लोकायुक्त को ही चुनौती दे डाली की सूबे के लोकायुक्त को कानून की थोड़ी कम जानकारी है ! बहरहाल इस मुद्दे पर निर्वाचन आयोग ने इस मुद्दे पर रिपोर्ट मांगी है ! वहीँ दूसरी ओर राज्य के एक बर्खाश्त मंत्री ने तो मानो अपनी भावनाओ पर काबू ही नहीं कर पाए और जनता के बीच पहुँचते ही फुट -फुट कर रो पड़े और बयां किया की पार्टी के लिए उन्होंने जान तक लगाया बदले में उन्हें क्या मिला ? आज चनावो के नजदीक आते ही और इस बढ़ते आपा- धापी के बीच में कई बर्खाश्त नेताओ ने समय रहते अपनी नैया को पार लगाना ही उचित समझा और झट-पट दुसरे दलों के साथ हो लिए...पर इन सब के बीच में कई चीज़े ऐसी है जो कहीं कहीं अपने आप में प्रश्न उठाती है की आखिर ऐसा क्या हुआ की एका-एक उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस्तीफों की झड़ी सी लग गयी ? और जो भ्रष्ट्राचार के आरोप में नेताओ को मायावती ने पनाह दी थी क्या इसके बारे में उन्हें पहले से अभास नहीं था ? इस भ्रष्ट्राचार में सिर्फ इन नेताओ का ही हाथ ही था या इनके पीछे इनको पनाह देने वालो को भी हाथ था ? बहरहाल अब जो भी हो सूबे की मुखिया ने जिस हिसाब से ताबड़तोड़ फैसले लिए है वो आम जनता को कहीं कहीं जरूर समझ में आने लगा होगा ! कल तक अपने मंत्रियो की तारीफ करने वाली सूबे की मुखिया आज इनके कारनामो के कारण लगातार जनता और विपक्ष का विरोध झेल रही है !देखना तो ये होगा की क्या आने वाले विधान -सभा चुनावो में बसपा सुप्रीमो को उनके द्वारा की गयी सफाई का कोई फायदा पहुँचा पाती है या फिर उनको कोई सबक सिखाएगी ? वैसे भी बसपा सरकार के कार्यकाल के दौरान इनके कई माननीयो ने सत्ता में रहते हुए अपने पद का दुरुपयोग किया था! वर्तमान समय में सरकार किसानो का तो विरोध झेल ही रही है वहीँ दूसरी ओर विपक्ष के विरोध के साथ अब मायावती के खिलाफ खुद उनके पार्टी से बर्खाश्त नेता व विधायक उतर गए है ! आने वाला वक़्त ही बताएगा की सुप्रीमो की पार्टी में सफाई से क्या जनता सरकार को वापस सत्ता में बैठाएगी या फिर कहीं ऐसा न हो जाये की जनता सत्ता से इनका भी सफाया कर दे...अब ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा !


फोटो -myindiapictures.com