सोमवार, 27 फ़रवरी 2012

क्या वक़्त आ गया है बड़े बदलाव का ?

टीम अन्ना के महत्वपूर्ण सदस्य अरविन्द केजरीवाल न पिछले दिनों जो भी बयान दिया है उसके बाद जिस हिसाब से सारे राजनीतिक दलों में भूचाल सी आई है उसको देखते हुए ये प्रश्न पूछना गलत नहीं होगा की क्या अब वो वक़्त आ गया है जब देश को एक महत्वपूर्ण बदलाव की जरुरत है? केजरीवाल का बयान कुछ मायनो में गलत था तो कुछ मायनो में शायद सही भी था ! आज देश का सबसे बड़ा मुद्दा भले ही भ्रष्ट्राचार हो और कला धन हो पर कहीं न कहें इन दोनों की जड़े राजनीतिक स्तर तक जुडी है और यह जड़े शायद आज आम आदमी को इस तरह अपने आप में सिमेट सी ली है की आज भ्रष्ट्राचार के बिना शायद आम आदमी का कोई काम हो सके! इसका सबसे बड़ा उदाहरण सलमान खुर्सीद और चुनाव आयोग के बीच चली जंग जो की राष्ट्रपति तक पहुँच गया और मामला ठंडा पड़ा भी नहीं था की बेनी प्रसाद ने भी आयोग की चुनौती दे डाली! आज राजनीतिक दलों में जीत की इस कदर प्यास है की उन्हें चुनाव आयोग के दिशा- निर्देश भी नागवार गुजरने लगे है ! तभी तो आय दिन कोई न कोई नेता सरकारी संस्थाओ का खुले आम चिर हरण कर रहा है! आज भी संसद में कई दागी ऐसे बैठे है जिनपर हत्या, हत्या का प्रयास , धोका-धडी जैसे गंभीर मामले है इसके बाद भी वो देश के लोकतंत्र के मंदिर के पुजारी बन कर बैठे है !चनावो के दौरान जिस हिसाब से ताबड-तोड़ रुपये मिलने के मामले सामने आये उससे कहीं न कहीं आम जनता के मन में भी यह प्रश्न जरुर आया होगा की कहीं न कहीं फिर राजनीतिक मंदी में आज जनता के विश्वास और मतों का सौदा लगने वाला था जिसे चुनाव आयोग न काफी हद तक रोकने में कायम रहा ! आज कहीं न कहीं सिर्फ केजरीवाल ही नहीं बल्कि हर आम इन्सान के अन्दर इसे दागी नेताओ के प्रति यही सोच उत्पन्न हो रही है ! परन्तु हमारे देश के राजनेता भी मानो अदि से हो गए हो तभी तो फिर से उन्हें अपनी मान मर्यादा का सवाल आ गया और फिर से अपना विशेषाधिकार का प्रयोग कर केजरीवाल से माफ़ी मंगवाएंगे! पर शायद यही नेता थे जिन्होंने कुर्सी की लालच में संसद में नोटों को लहराया था तो वहीँ विधान सबह में क्या राज्यों में एक दुसरे हाथ उठाये थे ! अभी हाल के दिन में ही कर्नाटक के ३ मंत्रियो को विधाभा अमिन अश्लील पिक्चर देखते हुए पाया गया था! अब ये हमारे साफ़ सुथरे अवेम स्वछ छवि वाले नेता है जो खुद आपस में भिड़े रहते है एक दुसरे पर मानो कसमे खा राखी है कीचड़ उछालने की ! पर अगर यही काम आम जनता करे तो इन्हें बुरा लग जाता है ! अब समय आ गया है की या तो ऐसे नेताओ के प्रति कोई मजबूत कानून बने और सख्त सजा मिले नहीं तो वो दिन दूर नही है जब धीरे धीरे सारे नेताओ के प्रति आम जनता का एक ही नज़रिया बन जाये....