सोमवार, 12 दिसंबर 2011

कानून संसद मैं बनते है न की सड़क पर?


जहाँ भारतीय जनता पिछले ४२ साल से देश में मजबूत और सशक्त जनलोक-पाल बिल की मांग कर रही है वही उसे पिछले ४२ साल से सिर्फ और सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा है! इस दौरान जब वर्तमान समय में एक समाज सेवी अन्ना हजारे इस बिल को संसद में लाने के लिए अनशन पर बैठते है तो उन्हें राजनितीक पार्टियों का विरोध झेलना पड़ता है!!अप्रैल में जब अन्ना ४ दिनों के अनशन पर बैठे थे तब भी सरकार और उनके प्रतिनीधियो ने झूठा आश्वाशन देकर मजबूत लोकपाल लाने की बात कह कर उन्हें और देश की जनता को धोका दिया!!बहरहाल टीम अन्ना ने अगस्त में फिर अनशन पर बैठने की योजना बनायीं इस दौरान अन्ना और उनकी टीम ने सपने में भी नहीं सोचा था की जो हाल बाबा रामदेव के साथ हुआ था वही हाल सरकार इनके साथ करने वाली है...और अन्ना अनशन पर बैठने से पहले ही गिरफ्तार कर लिए गए इस दौरान अन्ना के समर्थन में उतरे भारी जन-सैलाब को देखते हुए सरकार ने अन्ना को रिहा करने में ही अपनी भलाई समझी ..पर इस बार सरकार ने अन्ना के ऊपर लगातार अपने हमले तेज़ कर दिए और साथ में पूरी टीम पर भी हमले करने शुरू कर दिए पर इन सब के बीच में अन्ना को काफी सफेदपोशो ने चेताया की वो संसद से ऊपर नहीं है ओर न ही वो सांसद है! पर टीम अन्ना के हौसले कम होने का नाम ही नहीं ले रहे थे...ओर कम हो भी क्यों ? क्यूंकि इस भ्रष्ट्राचार की लडाई में देश का आम आदमी अन्ना के इस मुहीम में उनके साथ जो खड़ा था...और अगस्त में देश के प्रधानमंत्री ने अन्ना को लिखित में आश्वासन दिया की वो लोकपाल-बिल को संसद के शीत-सत्र मे संसद में लायेंगे!!ओर शायद अन्ना के इस मुहीम में जिस हिसाब से देश का हर एक वर्ग जुड़ रहा था ओर जिस हिसाब से शांतिपूर्ण ढंग से लगभग डेढ़ हफ्तों चले आन्दोलन को पूरा किया गया उसकी पूरे देशो में तारीफ हुई...पर जब संसद में शीत सत्र शुरू हुआ तो पहले के ९ दिन एफ.डी.आई. के आग में भेट चढ़ गए और उसके बाद जब सदन शुरू हुआ तो जिस हिसाब से इस्तेंडिंग कमिटी ने बिल बनाया वो एक्सपर्ट्स के मुताबिक इस बिल से देश में भ्रष्ट्राचार को और बढ़ावा मिलेगा !!जब इस बात से खफा अन्ना ने ११-१२-२०११ को रविवार के दिन जंतर मंतर पर एक दिन का सांकेतिक उपवास रखा तब उन्होंने समस्त राजनितीक दलों को न्योता दिया की वो मंच पर आये और जनता के बीच में अपनी पार्टी का रुख जनलोक-पाल मुद्दे पर साफ करे!!! और फिर अन्ना के अपील पर समाजवादी पार्टी , बी.जे.पी, टी.डी.पी., सी.पी.आई, समेत कई अन्य पार्टियों से उनके प्रतिनिधियों ने मंच पर आकर जनलोक-पाल मुद्दे पर पार्टी का रुख साफ़ किया ...इस दौरान कांग्रेस से न कोई आया ओर न ही कांग्रेस के सहयोगी दलों से कोई आया!!इस मुद्दे पर जब मीडिया ने कांग्रेस के प्रवक्ता से पूछना चाहा तो उन्होंने जनता को संसद का पाठ पढाया और कहा की देश का संविधान संसद में बनता है न की सड़क पर !!!पर शायद ये सफेदपोश भूल गए की जब चंद वोटो के खातिर इन्होने संसद मैं सांसदों को ख़रीदे थे तब कहाँ चले गए थे इनके प्रवक्ता ?और जब वो आपस में लडाई करते है सदन में तब कहाँ चली जाती है इनकी मर्यादा ? और तो और आपस में गाली-गलौज करते है तब तो ये भूल जाते है अपनी मर्यादा?? ओर आज जब देश ने भ्रष्ट्राचार के खिलाफ आवाज़ उठाई है तो उसे दबाने के लिए नए नए हथकंडे अपना रहे है ये सफेदपोश...अरे शर्म करो कुछ तो और कितना राजनीति के खातिर संसद को बेईज्ज़त करोगे ??क्यों लोकतंत्र के मंदिर को शर्मसार करा रहे हो सफेदपोशो !!!मत भूलो की जनता के सेवक हो ....अब भी समय रहते सुधर जाओ और आम इंसान को ज्यादा पाठ मत पढ़ाया करो क्यूंकि हमे भी अपना अधिकार पता है और अंतर यही है की पहले हम सहते थे पर अब जाग चुके है...इसलिए जो कम ४२ साल से संसद में नहीं हो सका वो अब आम जनता सड़क पर ही करके दिखा सकती है की आम इंसान की ताकत क्या होती है....!!!