सोमवार, 26 मार्च 2012

कांग्रेस से दूर होती ममता...

बुरे वक़्त में अच्छे अच्छे साथ छोड़ देते है इसका सबसे बड़ा उदारहण कांग्रेस ओर त्रिमूल कांग्रेस की दोस्ती में दिखने लगा है ..कल तक जो त्रिमूल कांग्रेस केंद्र की य़ू.पी.ए को समर्थन दे रही थी आज वही त्रिमूल कांग्रेस हर समय सरकार से समर्थन वापस लेनी की धमकी देती नज़र आ रही है! जिस हिसाब से ५ राज्यों में हुए विधानसभा चुनावो में से ३ राज्यों में जो करारी मात कांग्रेस को मिली है उसका असर ये है की अब उसके सहयोगी दल भी कांग्रेस के खिलाफ बगावत करते नज़र आ रहे है !पश्चिम बंगाल की ममता ने वहां पर ३४ सालो से राज कर रहे वामपंथियों को न सिर्फ उजाड़ फेंका बल्कि सत्ता में फिर से वापसी की है और फल सवरूप उन्हें केंद्र के रेल मंत्री के पड़ से इस्तीफा देना पड़ा और उनकी जगह पर उनके पार्टी के दिनेश त्रिवेदी को नया रेल मंत्री बनाया गया ..इस दौरान ममता ने सरकार को बीच बीच में अपनी पार्टी की और अपनी महत्वता बताती रही और जन-लोकपाल मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथ लिया था ..ठीक इसी प्रकार एन.सी.टी.सी मुद्दे पर भी सरकार को जमकर लताड़ लगायी थी ! औरहद तो तब हो गयी जब ममता ने अपनी दोस्ती की ममता कांग्रेस से एक दम हटाना शुरू कर दिया और फलस्वरूप ५ राज्यों में हुए विधानसभा चुनावो में इन्होने अपने प्रत्याशियो को मैदान में उतर दिया जो की कांग्रेस के लिए किसी सर दर्द से कम नहीं था भले ही इन विधानसभा चुनावो में त्रिमूल कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन न किया हो पर मणिपुर में त्रिमूल कांग्रेस ही विपक्ष में बैठेगी और कांग्रेस सरकार को चुनौतिया भी देगी!
बहरहाल इन विधानसभा चुनावो में मिली जबरदस्त हार का गम अभी कांग्रेस के गले से उतरा ही नहीं था की य़ू.पी में सपथ-ग्रहण समारोह में और पंजाब के सपथ-ग्रहण समारोह में ममता ने अपने जाने का एलान कर के मानो कांग्रेस के लिए एक और झटका दे दिया बहरहाल बाद में कांग्रेस के ऐतराज पर वो खुद न जाकर अपने प्रति-निधियो को भेज दिया ...और इसी के साथ राजनीती बाज़ार में तीसरे मोर्चे को लेकर और मध्यावधि चुनावो को लेकर सुगबुगाहट काफी तेज़ होती जाग रही है वहीँ दूसरी और केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर दखल देना पड़ा और मीडिया में यहाँ तक सफाई देने की नौबत आ गयी की हमारे पास नम्बर्स है ! ममता और कांग्रेस की लडाई उस समय खुल कर सामने आ गयी जब रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने ममता बनर्जी को बिना बताये ही रेल बजट बढ़ा दिया और रेल मंत्री को य़ू.पी.ऐ का समर्थन मिल रहा था उस दौरना ममता की नाराज़गी का आलम ये था की त्रिवेदी को पद से इस्तीफा देना पड़ गया बाद में कल मुकुल राय को रेल मंत्री बनाया गया जिन्हें प्रधानमंत्री ने एक बार पहले ही रिजेक्ट किये जा चुके थे पर मानो ममता के आगे खुद य़ू.पी.ऐ भी बेबस नज़र आ रहा है ...अब देखना तो यही होगा की आखिर कब तक बची-कुची ममता पूरी तरह से कांग्रेस से अपनी ममता हटाएँगी?