गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

आपा खोती माया...


नेता किसी के नहीं होते है ये तो हमने सुना था और देख रहे है ! पर सत्ता की लालच में भूके बैठे इन नेताओ ने अपनी मान मर्यादा अपनी संस्कृति सभ्यता समेत संस्कार सब कुछ ताक पर रख दिए है ! वैसे में विश्वास के साथ तो नही कह सकता की इनमे से एक भी लक्षण नेताओ में मौजूद है! वरना शायद आज जिस हिसाब से वो सियासत के इस जंग में अपने अपने विरोधियो पर कीचड़ उचल रहे है वो कहीं न कहीं इन नेताओ को आम इंसान और जात पात से काफी अलग और खुद मे अनोखा सा बनता है ! ठीक यही हाल उत्तर प्रदेश की दलित की बिटिया का है जिन्होंने दलित के नाम पर सियासत शुरू किया और काफी शाम दम दंड भेद के बाद सत्ता की कुर्सी तक पहुँच पाई! पर वो सिर्फ एक मुख्यमंत्री ही नहीं बल्कि कहीं न कहीं वो एक महिला भी है जिन्हें अपने राज्य की महिलओं की सुरक्षा और उनकी संवेदनाओ का भी ख्याल रखना चाहिए था पर शायद वर्तमान समय में मापदंड विपरीत दिशा में जा रहे है खुद मायावती के माननीयो पर महिलओं के साथ यौन उत्पीड़न समेत बलात्कार तक के आरोप लगे है ! खुद मायावती के पास इतना वक़्त नहीं है की वो महिलो के दुःख को सुन सके तभी तो वो कई मर्तबा उन महिलो के दर्द को अनसुना समझ कर आगे बढ़ लेती है! पर इस बार जो किया है उससे कहीं न कहीं उनकी हार का डर या फिर उनकी सियासी जंग में उनकी हताशा साफ़ साफ़ झलक रही है ! तभी तो गोरखपुर में चनावी सभा को संबोधित करने आई मुख्यमंत्री ने वो कह डाला जो की शायद कल्पना से परे था! हुआ य़ू की जब मुख्यमंत्री मंच पर जा रही थी तब एक महिला अपने बेटे की हत्या की फ़रियाद लेकर मायावती के पास मिलने पहुंची पर शायद वो महिल भूल गयी थी की भले ही ये महिला मुख्यमंत्री है तो क्या हुआ असली जात तो नेताओ की है न इनकी भी आखिर अपना रंग कैसे न दिखाती ?और फिर वहीँ हुआ जो हमेसा की तरह आम जनता के साथ मायावती के कार्यकाल में हुआ था वहां मौजूद पुलिस वालो ने महिला को खिंचा कर सभा से दूर किया ! इन सब के बीच भी मायावती के मन में महिला होने के नाते भी दया नहीं जग पाई और मंच पर इस विषय को भी चनावी रूप देना उचित समझा और यहाँ तक कह डाला की ये विरोधियो के पालतू कुत्ते है? काश की मायावती के नादर एक अम्हिला के रूप में माता जग पति क्यूंकि जिस महिला को लेकर उन्होंने ये टिप्पणी की है उस महिला ने अपना बेटा खोया है और आपके मतहतो ने उस महिला के बेटे के मौत के बाद भी कोई करवाई नहीं किये थे! उर आपने जख्मो पर दावा लगाने के बजाये और जख्म दे रही है ? क्या दलित की बेटी का दिल नहीं है या फिर इस दलित की बेटी के अंदर की ममता मिट चुकी है ? अगर आपको जनता से मिलने में इतनी दिक्कत और परेशानी है तो आप मत मिलो वैसे भी वोट तो महिलाएं आपको दे ही देंगी क्यूंकि अब भी उनको विश्वास है पर आप और आपके माननीयो ने जिस हिसाब से काम किया है क्या आप उससे खुश है ?राजनीती की चाह में इतनी लालची मत बनिए की कल जिस महिलओं ने आपको सियासत की कुर्सी तक पहुँचाया है अब वही आपसे आपकी कुर्सी भी छीन ले इस लिए अभी भी ६ चरणों के चुनाव बाकि है और आपको भी अच्छी तरह पता है की जनता ही जनार्दन है तो बंद कीजिये अपनी तानाशाही और वक़्त रहते महिलो का क़द्र करना शिख लीजिये क्यूंकि आज तक महिलओं से कोई जीत नहीं पाया है तो आप और आपके माननीयो का क्या होगा सोचा है कभी?