शनिवार, 31 दिसंबर 2011

चढ़ गया आग की भेंट लोकपाल...

राज्य-सभा में राज्यसभा सदस्यों को अन्ना के अनशन के खिलाफ आग उगलते देखा और उनकी ईमानदारी देश के प्रति भी देखी एक पल को तो विश्वास नहीं हो रहा था की हम उस देश के वासी है जहाँ पर लगातार पिछले कुछ दिनों से सफेदपोशो पर भ्रष्ट्राचार के कई गंभीर आरोप लग रहे है और बड़े बड़े घोटाले सामने आ रहे थे...यूँ तो एक पल लगा मानो मैं एक ख्वाब देख रहा हूँ पर अचानक ही सारे माजरे समझ में आने लगे जब आर.जे.डी. के एक सदस्य ने भरे राज्य सभा में अपनी मर्यादा का ख्याल न करते हुए लोकपाल बिल की प्रति नारायण स्वामी के हाथ से छीन कर फाड़ दी !!बिल तो संसद में जरूर लटका रहा पर कल तक जो अन्ना के अनशन पर कई सवाल उठा रहे थे वो आज खुद कटघरे में खड़े दिख रहे है !!!एक महोदय ने ये कहा की उनके ३३ साल के राजनीतिक कार्यकाल में टीम अन्ना या कोई भी टीम का सदस्य एक आरोप भी साबित करके दिखाए मैं राजनीती से इस्तीफा दे दूंगा पर इसी के साथ वो लोकपाल का विरोध करके साफ़ कर दिया की वो कितना देश के प्रति गंभीर है! नेताओ को अन्ना का ये बयां बड़ा बुरा लगा की वो सफेदपोशो के बारे में सड़क पर आग उगल रहे है पर शायद वो भूल गए की आग उगलने वालो में अन्ना ही नहीं बल्कि भारत का हर वो एक आम आदमी है जिसने आपको वहां तक पहुँचाया है !बहरहाल आज देश के एक केंद्रीय मंत्री ने अन्ना को ये हिदायत दे दिया की वो कभी उनके क्षेत्र में जाये तब पता चलेगा...ओर तो ओर इसी तरह कई अन्य महानुभावो ने लगातार अन्ना पर हमला जारी रखा और एक तरफ लोकपाल पर भी दोहरी नीति अपना रखी थी ...अब जब बिल पास नहीं हो पाया तो विपक्ष सत्ता पक्ष पर हमला कर रहा है वहीँ दूसरी ओर सत्ता पक्ष विपक्ष पर हमला करना तेज़ कर दिया है !पर जिस हिसाब से ये सफेदपोशो ने राज्य सभा और लोकसभा में अपनी गरिमा पर लग रहे आरोपों पर अन्ना पर हमले किये थे ओर उसके बाद खुद मर्यादाओ को भूल कर लोकपाल बिल फाड़ा था उससे तो यही जाहिर हो रहा है की चाहे वो सत्ता पक्ष हो या विपक्ष अब सब एक ही धुन अलाप रहे है की चाहे जो भी हो जाये पर लोकपाल पास न हो इसके लिए बकायदे उन्होंने दोहरी नीति अपना रखी है ! शायद ये सफेदपोश भूल गए है की जनता जनार्दन है अगर ये जनता को मुर्ख बनाना जानते है तो जनता भी इनको इनके ही अंदाज़ में जवाब दे सकती है बस जनता अब सही वक़्त का इंतज़ार कर रही है ...कल संसद में कुछ सदस्यों ने कहा की आपको किसी इंसान से डरने की जरुरत नहीं है और न ही आपको किसी दवाब में आकर बिल लाने की जरुरत है आप अपने हिसाब से काम करो !!! कुछ बुद्धिजीवी सांसदों ने तो साफ़ तौर पर कह दिया की ये एक तरह से लोकतंत्र में हमारे लिए सुशायडल से कम नहीं है ...और तो और ये भी कहते नज़र आते है की ये लोकतंत्र की हत्या हो रही है हम पर आरोप भी लगाये जा रहे है ...अगर आपको आरोपों से इतना बुरा लग रहा है तो फिर आप अब तक संसद में लोकपाल पर अपनी भुमिका स्पष्ट कर दीजिये ...क्यूंकि आप को अगर ये लगता है की संसद में कानून बनता है तो आम जनता पिछले ४२ साल से देख रही है की कितना मेहनत आपने लोकपाल मुद्दे पर की है..!अगर आपने ये काम पहले ही कर दिया होता तो शायद आम जनता को सड़क पर न उतरना पड़ता ओर न ही अन्ना को अनशन करने की..और आप है की समझते ही नहीं है हर जगह आरक्षण को लाकर राजनीतिक मुद्दा बना देते है अरे जनता भ्रष्ट्राचार से पीड़ित है मगर आप उसपर मरहम लगाने की बजाए आप उसपर जात-पात के नाम पर और दर्द देना चाह रहे है !आपको अपनी इज्ज़त का तो बड़ा ख्याल है पर आप आम जनता को क्यों भूल जाते है की आम इन्सान को जन्म से लेकर मृत्यु तक के लिए घूस देना पड़ रहा है तो आम जनता का गुस्सा जायज़ क्यों नहीं है? फिर अगर आम जनता विरोध करती है तो बदले में लाठी खाती है या फिर जेल की हवा ! आप लोग इस पर भी राजनीती करने पर उतर जाते है ...आपकी महानता तो अब देख ही रहे है की एक लोकपाल पर आप सभी राजनीतिक दलों ने कैसे एकता और भाई चारा दिखा दिया और बिल को फिर से लटका दिया फिर आम जनता को आपने अपने राजनीतिक फायदों के लिए मुर्ख बना दिया... जहाँ तक मेरा ख्याल है की अब हमे नहीं लगता है की हमारे देश में कोई सत्ता पक्ष या विपक्ष या कोई अन्य राजनीतिक दल है क्यूंकि आप सभी एक ही थाली के चट्टे-बट्टे है ! आपसे बस देश बेचने की ही उम्मीद की जा सकती और गरीब को मिटाने की न की गरीबी को !!!सच कहा है किसी ने की संसद से बड़ा कोई नहीं पर आपने तो ये साबित कर दिया की सांसदों से बड़ा कोई नहीं!!