रविवार, 13 नवंबर 2011

बाल दिवस सिर्फ नाम मात्र के लिए???


हर साल की तरह इस बार फिर बाल दिवस आ ही गया ओर आज के दिन कई छोटे छोटे बच्चे बड़े जिज्ञासा के साथ अपने माँ -पिता से बाल दिवस के बारे मैं पूछ रहे होंगे!! ओर माँ बाप अपने बच्चो को बड़ी बड़ी ज्ञान वर्धक बातें बताना शुरू कर देंगे !पर मेरा सिर्फ एक प्रश्न है उन माँ बाप से जो इन छोटे छोटे बच्चो से इतनी कम उम्र मैं ही इतनी अपेक्षाएं कर बैठते है ....हम मानते है की आज हम विकास कर रहे है पर इस विकास ओर अंधी दौड़ मैं क्या हम इन मासूम बच्चो से उनका बचपन तो नहीं छीन रहे है ? आज जिस हिसाब से अलग अलग टी.वी चेनैल्स के द्वारा आयोजित कराये जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों मैं प्रति-भागी के रूप मैं हर माँ बाप अपने बच्चो को जल्द से जल्द कार्यक्रमों मैं डालने की होड़ सी लगा ली हो वही इन मासूमो पर मानो पहाड़ सा टूट रहा हो ..जो उम्र इनके खेल कूदने की हो उस उम्र मैं मानो ये नन्हे फ़रिश्ते अपनी परिवार जानो की अपेक्षाओ को पूरा करने मैं जुट गए है ...ओर इस अपेक्षाओ को पूरे करने के चक्कर मैं अब तक न जाने कितने बच्चो ने अपनी जान तक गँवा दी है...पर इतने के बाद भी माँ बाप के अपेक्षाओ मैं कोई कमी नहीं आ रही है ...आज जिस बच्चो को हम भगवान् का रूप देते थे है वोही बच्चे इस अंधी दौड़ के युग मैं शिकार हो रहे है...ओर अब बात करते है उन माँ बाप की जो की आज तक लड़का ओर लड़की वाले अंध-विश्वास मैं जी रहे है वो माँ बाप जिन्होंने अब तक कितने बच्चो को जन्म से पहले ही मार दिया होगा ओर ज्यादातर इसमें शिकार होने वाली लडकियां ही है जिनका दोष सिर्फ मात्र लड़की के रूप मैं पैदा होना था...मुझे बस ये जानना है की क्या ऐसे माँ बाप भी आज के दिन अपने बच्चो को बाल दिवस के बारे मैं बताएँगे ओर अगर बताते भी है तो क्या उनको उनका ज़मीर बताने देंगे...वास्तविकता ये है की आज इन सब का कोई महत्व नहीं है इन आधुनिक माँ बाप के लिए!!!अगर उनके अन्दर थोडा सा भी इंसानियत बचा है तो वो अब भी वक़्त रहते अपने बच्चो से उनका बचपना न छीने ओर न ही उनपर किसी तरह का अत्यधिक बोझ डाले ....क्यूंकि आज भी कई बच्चे ऐसे है जो अनाथ है ओर जिनका कोई नहीं है इस संसार मैं ओर वो इस जालिम दुनिया वालो के अत्याचारों के शिकार हो रहे है ...आखिर कब तक हम लड़के की चाह मे लड़की की हत्या करते रहेंगे ओर कब तक समाज के इस अंधी दौड़ मैं इन मासूम से बच्चो के बचपन की बलि देते रहेंगे....आयिए इस बार हम बच्चो को ये महसूस कराये की वो सच मैं हमारे ओर आप सबके लिए एक नन्हे फ़रिश्ते है न की कमाई का जरिया !!!क्यों न इस बाल दिवस पर हम ओर आप किसी रोते हुए बच्चो के आँखों से आंसू मिटाए ओर उनका भवीयसा उज्जवल बनाये !!!

सुधर जाओ अमेरिका वरना???


अमेरिका लगातार अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहा है ओर जहाँ एक तरफ वो भारत से दोस्ती का नाटक कर रहा है तो वहीँ दूसरी ओर कहीं न कहीं वो मौका पा कर खंजर से वार करने पर भी नहीं चूक रहा है....इसका सबसे बड़ा उदहारण उसने भारत के पूर्व राष्ट्र-पति डाक्टर ऐ.पी जे.अब्दुल कलाम के सुरक्षा जाँच के नाम पर किये गए दुर्व्यवहार मैं दिखा दिया की वो दिखने मैं कुछ है ओर असल मैं कुछ ओर है....पर बात यहाँ पर ये उठती है की ये कोई पहली घटना नहीं है इससे पहले भी अमेरिका ने कलाम साहेब के साथ सुरक्षा के नाम पर दुर्व्यवहार किया था जो की कहीं न कहीं अशोभनीय है ओर इस घटना से न सिर्फ कलाम साहेब का अपमान हुआ है बल्कि कहीं न कहीं भारत का भी अपमान हुआ है...इतना सब कुछ होने के बाद भी सरल स्वाभाव वाले हमारे पूर्व राष्ट्रपति ने इस मुद्दे पर भी कोई खास प्रति -क्रिया व्यक्त नहीं की...पर लगातार जिस हिसाब से अमेरिका का भारत के वी .वी .आई .पी.ओ के साथ सुरक्षा के नाम पर ऐसा बाहियात सा वर्ताव किया जा रहा है वो काफी आलोचनात्मक है...ओर हर बार की तरह अमेरिका गलती करने के बाद माफ़ी भी मांग लेता है जो की उसकी हमेसा से आदत रही है!! पर आखिर कब तक वो हमारे देश के अति-विशिष्ठ व्यक्तियों के साथ अमेरिका ऐसा वर्ताव करेगा...ओर अमेरिका ये न भूले की उसके यहाँ के भी अति-विशिष्ठ मेहमान हमारे यहाँ मेहमान बनकर आते है ..ओर कहीं ऐसा न हो जाये की अब हमारे सब्र का बांध टूट जाये ओर हम भी सुरक्षा के नाम पर उनके साथ दुर-व्यवहार अपनाना शुरू कर दे...कहीं अमेरिका की ये निति उसपर खुद भरी न पर जाये इसलिए समय रहते अमेरिका को ये अच्छी तरह समझ लेना चाहिए की वक़्त सबका आता है...अमेरिका को अपनी ये दोहरी निति बंद करके इंसानियत अपना लेना चाहिए !!!ओर भारत सरकार को भी कम से कम अपनी प्रतिष्ठा का ख्याल करते हुए अमेरिका के इस व्यवहार के प्रति उचीत करवाई की मांग करे ...आखिर कब तक हमारे देश के अति -विशिष्ठ व्यक्तिओ के साथ ऐसा दुर-व्यवहार होगा ...ये वक़्त है अमेरिका को साफ़ तौर पर हिदायत देने का !!!