बुधवार, 22 जून 2011

बस इतना याद रहे....


शायद जावेद साहब ने गलत नहीं लिखा होगा की बस इतना याद रहे है की एक साथी और भी था ....जाओ जो लौटकर तुम घर हो खुशी से भरा !जी हाँ यह लाइन हमारी भारतीय सेना के ऊपर एकदम सटीक बैठता है जिनके बल पर आज हम खुली फिजा मैं खुली साँस ले पा रहे है और आजादी भरी जिंदगी जी पा रहे है....भारतीय सेना वो सेना है जिसके जवान अपने प्राणों की परवाह किये बगैर ही देश के लिए मर मिटने को तैयार है...पर क्या आज उनको हम उतना सम्मान देते है जितना एक वर्ल्ड कप जितने पर सारी टीम को बंधाई देते है...या फिर क्या हम देश के लिए मर मिटने वालो के लिए हम श्रधान्जली सभाओ का आयोजन करते है? जैसे हम किसी मशहूर नेता या अभिनेताओं के मरने पर करते है...?आखिर उनके साथ इतना भेद भाव क्यों जो हमारी रक्षा के लिए अपनी प्राणों की परवाह तक नहीं करते है?आज हमारे पास हजारो डे है मानाने के लिए पर गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस हमे क्यों नहीं याद रहता है ? और अगर याद भी रहा तो सिर्फ इसलिए की कहीं कोई हमे ये न कह दे की हमारे अन्दर राष्ट्र प्रेम नहीं है....आखिर हम किससे झूठ बोल रहे है ?आज एक राष्ट्रीय नेता के मरने पर राष्ट्रीय धव्ज को सम्मान मैं झुकाते है वो भी उन नेताओं के लिए जिनके दामन खुद दाग दार है ...और वो ही सेना जो हर साल हमारे देश के धव्ज के साथ हमारी भी रक्षा कर रही है उनके मरने पर उनको क्या मिलता है एक झूठा आश्वासन सरकार का और झूठे वादे ...सेना का जवान सालो साल अपने परिवार से दूर रहकर भी अपना फर्ज पूरी तरह निभा रहा है और हम उस सेना के लिए के लिए के सोच रखते है?...मुझे पता है है की इस देश मैं ए बातें करना किसी मुर्खता से कम नहीं होगा क्यूंकि यहाँ पर प्यार व्यार जैसी चीजो के लिए बहुत समय है और बिना किसी तर्क पर आधारित मूवी हिट हो जाती है ...पर अगर सेना या किसी सामाजिक मुद्दे पर आधारित हो तो वो हमारे देश की जनता के समझ से परे है....आज इस जनता के पास लाखो डे मानाने के लिए है पर स्वंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के दिन राष्ट्रीय अवकाश जरुर याद आ जाता है ...क्यूंकि उनको क्या लेना देना अगर उनकी भलाई के लिए देश के सरहद पर एक जवान चाहे वो किसी का बेटा हो पति हो या फिर पिता हो इससे हमे क्या अगर उसे कुछ हो भी जाये तो हमे क्या फर्क पड़ेगा या हमारी जिंदगी थोड़ी रुक जाएगी? ...हम तो खुद ही इतने मतलबी हो गए है की किसी के जीने या न जीने से हमे कोई फर्क नहीं पड़ेगा ...पर एक बात हम लोगो को जरुर जद्दो जेहन मैं रख लेनी चाह्यिए की अगर आज हम अपने दुश्मनों से सुरक्षित है सिर्फ उस सेना के बल पर जो हमारी तरह स्वार्थी नहीं है कम से कम इंसानियत तो है उनके अन्दर जो अपनी जान तथा न अपने परिवार का मोह किये बिना ही देश के खातिर मर मिटने को तैयार है....शर्म तो अब हमे करनी चाहिए की हम कुछ न करते हुए भी इतने स्वार्थी हो गए है की जिनके कारन आज हम खुली फिजा मैं चैन और सुकूउं भरी जिंदगी जी रहे है आज हम उस सेना के साथ ऐसा बर्ताव करेंगे ....काश की हम और आप मिलकर कम से कम उस सेना को सम्मान ही दे सके सर झुका कर ....
पुनीत कुमार
न्यू दिल्ली