बुधवार, 1 फ़रवरी 2012

लोकतंत्र की जड़ो को चोट देने वाले कौन ?


जब से ५ राज्यों के विधान सभा चुनावो की तारीखें घोषित हुई है तब से ज्यादातर राजनीतिक दलों ने जीत हासिल करने के लिए नए नए चनावी वादों की झड़ी सी लगा दी है..बहरहाल इन वादों को महज़ एक प्रलोभन से ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता है क्यूंकि कहीं न कहीं इन सफेदपोशो ने लोकतंत्र को नोट-तंत्र में बदलने की हर वो सार्थक कोशिश की है जितनी सार्थक कोशिश उन्होंने देश को लूटने में और नए नए घोटाले करने मे की है...पर इन सब के बीच एक ही सवाल खड़ा होता है की आखिर इतना सब कुछ जानते हुए भी जनता जागरूक क्यों नहीं होना चाहती है? पिछले दिनों २६ जनवरी को देश की राष्ट्रपति ने देश के नाम सन्देश देते समय ये कहा की लोकतंत्र का पेड़ इतना न हिलाया जाये की लोकतंत्र की जड़े कमजोर हो जाये ...उनका ये बयां किसके लिए था और क्यों था ये हम और आप शायद अच्छे तरीके से जानते है! पर शायद महामहिम को ये नहीं पता था की आज देश की लोकतंत्र की जड़े और कोई नहीं बल्कि सफेदपोशो ने दिमक की तरह खोखले कर दी है ! आज देश मे घोटाले विकास की दर से ज्यादा बढ़ गए है ! हर राज्यों मे रेस सी लग गयी है की कौन कितना ज्यादा शोषण और गबन कर सकता है? आज हालात ये हो गए है की देश में संविधान बनाने वाले ही खुद संविधान का मजाक बना रहे है..पेट भरने के लिए एक रोटी चुराने वाले पर पुलिस तुरंत करवाई करती है पर देश में दो हज़ार करोड़ रूपये खाने वाला मंत्री भी ठाठ से जेल की हवा खा कर आता है मानो वो वहां मेहमान के रूप मे गया हो ! यहीं नेता चनावो मे जीतने के लिए जाति-सांप्रदायिक और धर्म की राजनीती कर के वोट बैंकिंग की सियासत करते है और आम जनता आपस में लड़कर लाशें बिछा देती है ! अभी हाल में ही एक युवा नेता को सियासत की भूख इस तरह लगी की उन्हें अपनी मेहनत और खून पसीने की कमाई करने वाले मजदूरो की तुलना भीकारीयो से कर दिया ...जबकि वास्तविकता ये है की उनके सुरक्षा के कारणों से आम जनता तो क्या परिंदा भी पर नहीं मार सकता तो भीकारी उनके पास कहाँ से आये ? एक दल ने तो बकायदे चुनावो में जीतने के लिए यहाँ तक ऐलान कर दिया की उनकी सरकार आती है तो बलात्कार पीडितो को सरकारी नौकरी दिया जायेगा अब उनका ये कथन से पीड़ितो का भला हो या न हो पर अपराधियों के हौसले और बुलंद होंगे! अब जब अंत समय आया चुनावो को नजदीक देख सारे दलों ने एक दुसरे पर आरोप और प्रत्यारोप लगाने शुरू कर दिए है ...और इन सब के बीच इन पूरे दलों मे किसी के भी चुनावी घोषणा पत्र में भ्रष्ट्राचार से निजात मिटाने वाला न कोई बिल था और न ही कोई भरोसा था ...बस सब दलों ने चुनावी वादों के साथ मानो मतदाताओ को खरीदने मे जुट गए है ! यु.पी के एक केंद्रीय मंत्री ने मीडिया मे बयां देते है की अगर टीम अन्ना उनके क्षेत्र मे आये तब उन्हें बताऊंगा...तो वहीँ दूसरी और बिहार के स्वास्थ मंत्री तो सीधे सीधे तालिबानी तेवर अख्तियार कर लिए हो ओर हड़ताल करने वालो को यहं तक हिदायत दे डाला की अगर कोई अनशन करता है तो उसके हाथ कटवाने भी हमे आते है..दलित के नाम पर सत्ता के सिंहासन तक पहुंचे वाली नेता ने भी भले दलितों का विकास किया हो या न किया हो? पर अपनी मूर्तियों के साथ उनका हाथियों के मूर्ति प्रेम को भी हमने देखा ! देश मे चारा घोटाला करने वाले मंत्री ने तो साफ़ तौर पर यहाँ तक कह दिया की लोकपाल बिल अगर आता है तो ये एक तरह हम नेताओ के लिए गला घोटने के बराबर है और इन्ही के राज्यसभा सदस्य ने भरे राज्यसभा में लोकपाल बिल फाड़ कर संविधान और संसद का चीरहरण किया था...वहीँ देश मे अब भी एक ऐसी पार्टी है जिसको चुनाव करीब आते है राम मंदिर की याद आती है और इसी के साथ मजहब के नाम पर सियासत शुरू करती है.....! महामहिम ने तो ये बात बड़े हल्के मे कह दिया ! पर अगर सही मायनो की बात की जाये तो लोकतंत्र की जड़े न कोई टीम अन्ना हिला रही है और न ही कोई आम जनता हिला रही है जड़ो को तो आपके सफेदपोशो ने खोखली कर दी ..और अगर आपको लगता है की आम जनता अगर अपनी मांग को लेकर सड़क पर उतरती है या सरकार पर दवाव बनाती है तो आप कृपया करके संविधान का संसोधन कर दीजिये और लोगो से लोकतंत्र वापस ले लीजिये क्यूंकि ये लोकतंत्र सिर्फ सफेदपोशो के लिए है न की आम जनता के लिए ...आज भी ज्यदातर लोग हमारे देश मे भूके पेट सोते है सिर्फ आपके सफेदपोशो के कारण ! आम जनता के अन्दर इतनी समझदारी तो है की संविधान की क़द्र कर रही है और एहमियत तो समझ रही है! वो आपके लोकतंत्र का पेड़ क्या हिलाएंगे ?

फोटो का श्रेय -kapilarambam.blogspot.com

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